वो पूछते है हम से .''''प्यार की इंतिहा कहां तक है ''''हम ने भी हंस कर मज़ाक मे कहा,इन बारिश
की बूंदो को गिनो,बस इतनी मुहब्बत तुम से है हम को..हम ने जो कहा उस को वो सच मान बैठे है..
अब तेज़ बारिश मे वो बैठे है,बूंदो को गिनने के लिए..सुभान अल्लाह ...हम तो बस दूर खड़े निहार
रहे है उन को,उन की इसी मासूम अदा के लिए...
की बूंदो को गिनो,बस इतनी मुहब्बत तुम से है हम को..हम ने जो कहा उस को वो सच मान बैठे है..
अब तेज़ बारिश मे वो बैठे है,बूंदो को गिनने के लिए..सुभान अल्लाह ...हम तो बस दूर खड़े निहार
रहे है उन को,उन की इसी मासूम अदा के लिए...