Monday 1 July 2019

वो पूछते है हम से .''''प्यार की इंतिहा कहां तक है ''''हम ने भी हंस कर मज़ाक मे कहा,इन बारिश

की बूंदो को गिनो,बस इतनी मुहब्बत तुम से है हम को..हम ने जो कहा उस को वो सच मान बैठे है..

अब तेज़ बारिश मे वो बैठे है,बूंदो को गिनने के लिए..सुभान अल्लाह ...हम तो बस दूर खड़े निहार

रहे है उन को,उन की इसी मासूम अदा के लिए...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...