दोस्तों..प्यार..विरह.वेदना.इकरार और जज्बातो की मायानगरी से भरी होती है शायरी...जिस के हर रूप को पढ़ने के बाद,हर किसी को यह लगे कि यह उसी की ज़िंदगी से मिलता प्यार या इकरार का जादू है..या कभी लगे कि विरह के यह शब्द मेरे लिए ही लिखे गए है..अगर ऐसा होता है तो एक कलाकार या यू कहे एक शायरा के लिखे लफ्ज़ो का जादू आप पे चल गया..सपनो की दुनिया कभी कभी बहुत ख़ुशी और सकून भी देती है..दोस्तों...अगर आप मेरे लिखे लफ्ज़ो से कभी प्रभावित हुए हो तो इस शायरा को हौसला-अफजाई जरूर कीजिये..ताकि मैं अच्छा और अच्छा लिख सकू...आभार..शुभ रात्रि..
Friday, 5 July 2019
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...
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एक अनोखी सी अदा और हम तो जैसे शहज़ादी ही बन गए..कुछ नहीं मिला फिर भी जैसे राजकुमारी किसी देश के बन गए..सपने देखे बेइंतिहा,मगर पूरे नहीं हुए....
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मौसम क्यों बरस रहा है आज...क्या तेरे गेसुओं ने इन्हे खुलने की खबर भेजी है----बादल रह रह कर दे रहे है आवाज़े, बांध ले इस ज़ुल्फो को अब कि कह...
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बैठे है खुले आसमाँ के नीचे,मगर क्यों है बेहद ख़ामोशी यहाँ...कलम कह रही है क्यों ना लिखे ख़ामोशी की दास्तां यहाँ...आज है ख़ामोशी खामोश यहाँ औ...