यह घड़ी की टिक टिक,सुन रहे है कब से...वक़्त रोज़ जैसे भाग रहा था..आज वक़्त से तागीद है,तुम
क्यों थम गए हो...काटे से क्यों नहीं कट रहे हो...मशगूल है बेशक बहुत कामो मे,हैरान है सब कर के
वक़्त तो वही रुका है..बहुत पूछा क्या खफा हो मुझ से,मेरी जान की वजह से बहुत परेशान हो...तुझे
क्या कहू कि तेरी रज़ा क्या है..आज तो मुझ से भी ना पूछ कि मेरी रज़ा क्या है..
क्यों थम गए हो...काटे से क्यों नहीं कट रहे हो...मशगूल है बेशक बहुत कामो मे,हैरान है सब कर के
वक़्त तो वही रुका है..बहुत पूछा क्या खफा हो मुझ से,मेरी जान की वजह से बहुत परेशान हो...तुझे
क्या कहू कि तेरी रज़ा क्या है..आज तो मुझ से भी ना पूछ कि मेरी रज़ा क्या है..