Sunday 14 July 2019

फूलो का गज़रा सजा कर बहुत इतरा रहे थे...खुद ही खुद पे लजा रहे थे..आईना देखा तो अपने चेहरे

पे तेरी सूरत को देखा..यह कैसा करिश्मा है जिसे चाहा उस को खुद मे देखा...गज़रा जो अब जुल्फों से

बिखरने लगा था..एक एक फूल जैसे तेरी महक से मुझे महका रहा था..सम्पूर्ण हुआ जीवन मेरा,यह

जैसे सिखा रहा था..टूट के कैसे चाहते है,यह बिखरे फूलो का गज़रा मुझे बता रहा था...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...