बेजुबान थे तुम मगर बहुत मासूम थे तुम..वो भोली सी निग़ाहें जिस मे इंतज़ार सिर्फ मेरा था..निश्छल
प्यार होता है कैसा,मैंने तुझ से सीखा था...इंसानो की इस दुनिया मे,जहा कदम कदम पे भरी है रिश्तो
मे सिर्फ बेईमानी..तेरा मेरी नरम गोद मे सो जाना और अधखुली आँखों से माँ अपनी को निहारते
रहना...तू था एक अनोखी काया,जिस मे देखा तेरी माँ ने संसार का नया स्वरूप... बहुत निराला....
प्यार होता है कैसा,मैंने तुझ से सीखा था...इंसानो की इस दुनिया मे,जहा कदम कदम पे भरी है रिश्तो
मे सिर्फ बेईमानी..तेरा मेरी नरम गोद मे सो जाना और अधखुली आँखों से माँ अपनी को निहारते
रहना...तू था एक अनोखी काया,जिस मे देखा तेरी माँ ने संसार का नया स्वरूप... बहुत निराला....