शाम तो शाम ही है....जो रोज़ आती है और चली भी जाती है..खूबसूरती का जामा पहने किसी को
नया रिश्ता भी दिलाती है..कोई इस से खफ़ा ना हो जाए,सौ बार रूमानी बरसात मे भिगोती भी है...
जीवन से बेज़ार इस शाम के आने पे खुद को,बेबस समझा करते है...जब मन को ना दे पाए कोई ख़ुशी
तो अक्सर शाम को दोष दिया करते है...यह शाम ही तो है,जो रात के आने से पहले,मुहब्बत के रंग
भी सज़ा दिया करती है....
नया रिश्ता भी दिलाती है..कोई इस से खफ़ा ना हो जाए,सौ बार रूमानी बरसात मे भिगोती भी है...
जीवन से बेज़ार इस शाम के आने पे खुद को,बेबस समझा करते है...जब मन को ना दे पाए कोई ख़ुशी
तो अक्सर शाम को दोष दिया करते है...यह शाम ही तो है,जो रात के आने से पहले,मुहब्बत के रंग
भी सज़ा दिया करती है....