Sunday 21 July 2019

शाम तो शाम ही है....जो रोज़ आती है और चली भी जाती है..खूबसूरती का जामा पहने किसी को

नया रिश्ता भी दिलाती है..कोई इस से खफ़ा ना हो जाए,सौ बार रूमानी बरसात मे भिगोती भी है...

जीवन से बेज़ार इस शाम के आने पे खुद को,बेबस समझा करते है...जब मन को ना दे पाए कोई ख़ुशी

तो अक्सर शाम को दोष दिया करते है...यह शाम ही तो है,जो रात के आने से पहले,मुहब्बत के रंग

भी सज़ा दिया करती है....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...