यह लफ्ज़,यह अल्फाज़ क्या कमाल है..कभी रुला देते है जाऱ जाऱ तो कभी ख़ुशी दे कर भी रुला देते
है...बरसो पुरानी यादो को रख सामने, दिल के टुकड़े टुकड़े कर देते है तो कभी उन्ही लम्हो से कुछ
खास लम्हे चुरा कर मुस्कुराने पे मजबूर कर देते है...वक़्त तो चलता है हमेशा अपनी चाल से,हम
नादान ही कुछ समझ ना पाते है...आ ज़िंदगी,तुझे फिर लगाते है गले,कि तुझे नाराज़ कर के हम
ज़न्नत की खुशियों को कहां प्यार कर पाते है..
है...बरसो पुरानी यादो को रख सामने, दिल के टुकड़े टुकड़े कर देते है तो कभी उन्ही लम्हो से कुछ
खास लम्हे चुरा कर मुस्कुराने पे मजबूर कर देते है...वक़्त तो चलता है हमेशा अपनी चाल से,हम
नादान ही कुछ समझ ना पाते है...आ ज़िंदगी,तुझे फिर लगाते है गले,कि तुझे नाराज़ कर के हम
ज़न्नत की खुशियों को कहां प्यार कर पाते है..