Saturday 6 July 2019

कल की वो शाम..बन गई कब कितनी खूबसूरत...कब वो हम को सिखा गई जीवन जीने का इक

मकसद...रोम रोम खिला ऐसे,जैसे कली खिली नई नई हो जैसे...सारा बग़ीचा सामने था,पर इक

सूंदर फूल चुना हम ने ऐसा..आँखों की चिलमन मे झलका उस की खुशबू का वो रेला...नई नई

खुशबू से महका मेरा जीवन,मेरा सवेरा..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...