किसी ने पूछा हम से-आप इतना कैसे मुस्कुरा लेते है--दर्दो को कौन सी दहलीज़ पर छोड़ आए है-
हम ने हंस कर कहा,मुस्कुराना तो हमारा मज़हब है--देते देते खुशियां सब को, अपना दर्द तो कही
जमीं मे ही दफ़न कर आए है--मोतियों से भर कर दामन सब का,हम दूर खड़े हो कर--उन मोतियों
की लड़ियाँ पिरोते आए है..
हम ने हंस कर कहा,मुस्कुराना तो हमारा मज़हब है--देते देते खुशियां सब को, अपना दर्द तो कही
जमीं मे ही दफ़न कर आए है--मोतियों से भर कर दामन सब का,हम दूर खड़े हो कर--उन मोतियों
की लड़ियाँ पिरोते आए है..