ना हो कायल हमारे खूबसूरत लफ्ज़ो पे..यह तो दिल-रूह के दरवाजे से तुझे तेरे लिए दस्तक दिया
करते है..क्या और कितना सोच के बोले कि सोच के दरीचों से परे हम तुझी को बेपनाह याद किया
करते है...यह कदम उठे तो दुनियां नाज़ हमारे उठाती है..ना कुछ बोले तो चुप्पी पे हमारी सवाल उठा
देती है..अब तू ही ना पूछे कि हम चुप क्यों है तो दुनियां से क्या लेना-देना है..कुछ तो बोलिए ना कि यह
ज़माना हमारी उदासी से परेशां परेशां हो जाया करता है...
करते है..क्या और कितना सोच के बोले कि सोच के दरीचों से परे हम तुझी को बेपनाह याद किया
करते है...यह कदम उठे तो दुनियां नाज़ हमारे उठाती है..ना कुछ बोले तो चुप्पी पे हमारी सवाल उठा
देती है..अब तू ही ना पूछे कि हम चुप क्यों है तो दुनियां से क्या लेना-देना है..कुछ तो बोलिए ना कि यह
ज़माना हमारी उदासी से परेशां परेशां हो जाया करता है...