Monday 2 March 2020

यह कौन से रंग है जो होली के रंगो मे ढलने वाले है..बहती नदिया की धारा की तरह है,जो हर रंग से

अलग अपनी ही धुन मे बहने वाले है..यह रंग भी कोई रंग है सच्चाई के रंगो से दूर..बहुत दूर कुछ दिनों

मे उड़ जाने वाले है...कुछ उड़े कुछ मिट गए,कुछ पल दो पल का वादा कर के भूल गए..रंग तो सिर्फ

एक है,प्यार का रंग..कान्हा ने रंगा राधा को जिस से..और राधा ने समेटा उसी प्रेम-रंग को अपने आंचल

के तले..हम ने भी चुपके से यह प्रेम-रंग उड़ा दिया सारे संसार मे..प्रेम करने वाले तमाम फ़रिश्तो के लिए ..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...