ना सता किसी का अंतर्मन इतना..ना टुकड़े हज़ार कर दिल के इतने..वफ़ा के नाम पे किसी को धोखा
देना..हर किसी के पास रूह की ताकत नहीं होती..हर किसी की जुबान पे सरस्वती भी बैठी नहीं होती..
तेरे-मेरे हर कर्म का हिसाब उस के पास लिखा जाता है..हर झूठ का लेखा-झोखा उस की किताब मे
दर्ज़ होता है..खुद को इतना मासूम ना साबित कर दुनियाँ की नज़रो मे..ना जाने कब किसी बेकसूर की
आह तुझे लग जाए..ना तू जी सके गा कभी,ना ही मर पाए गा..बस जो गुनाह तूने किया,कर रहा है..उस
के लिए मैं तो क्या वो भगवान् भी तुझे माफ़ नहीं कर पाए गा..दुआ है तो बद्दुआ की ताकत भी उतनी है..
देना..हर किसी के पास रूह की ताकत नहीं होती..हर किसी की जुबान पे सरस्वती भी बैठी नहीं होती..
तेरे-मेरे हर कर्म का हिसाब उस के पास लिखा जाता है..हर झूठ का लेखा-झोखा उस की किताब मे
दर्ज़ होता है..खुद को इतना मासूम ना साबित कर दुनियाँ की नज़रो मे..ना जाने कब किसी बेकसूर की
आह तुझे लग जाए..ना तू जी सके गा कभी,ना ही मर पाए गा..बस जो गुनाह तूने किया,कर रहा है..उस
के लिए मैं तो क्या वो भगवान् भी तुझे माफ़ नहीं कर पाए गा..दुआ है तो बद्दुआ की ताकत भी उतनी है..