आसमाँ उजला उजला है...धूप भी निखरी निखरी है..सोच रहे है ,इंसा ऐसे उजले निखरे क्यों नहीं आए...
काश..दुनियाँ खूबसूरत होती..काश..यहाँ सारे मन के सूंदर निखरे होते..तब दर्द ना होता कोई...होता भी
तो सहने की हिम्मत भी होती...जो वक़्त आया है ऐसा,इस कहर से तो शायद बहुत कम होता..पुकार रहे
है मालिक तुझ को..नीर भरे है इतने आज..इतना सा तुम से एक सवाल....तुम ने बनाई जब यह दुनियाँ
क्यों डाल दिए इंसा इतने मैले..तेरी यह दुनियाँ हम को ना भाई..इक दूजे के खून के प्यासे,क्यों बनाई
दुनियाँ तुम ने ऐसी...
काश..दुनियाँ खूबसूरत होती..काश..यहाँ सारे मन के सूंदर निखरे होते..तब दर्द ना होता कोई...होता भी
तो सहने की हिम्मत भी होती...जो वक़्त आया है ऐसा,इस कहर से तो शायद बहुत कम होता..पुकार रहे
है मालिक तुझ को..नीर भरे है इतने आज..इतना सा तुम से एक सवाल....तुम ने बनाई जब यह दुनियाँ
क्यों डाल दिए इंसा इतने मैले..तेरी यह दुनियाँ हम को ना भाई..इक दूजे के खून के प्यासे,क्यों बनाई
दुनियाँ तुम ने ऐसी...