बारिश की बूंदे टप टप कर,मद्धम स्वर से कुछ कहती रही...हम कुछ समझ पाते,वो आसमां के साथ
मिल कर हम को डराने लगी..तभी बिजली की कड़क से हम घबराए और तुझे याद कर रो पड़े..क्यों
ऐसा होता है,जब जब तू दूर होता है यह मौसम हम को खौफ देने लगता है..कैसे बताए इस को कि तू
तो हरदम मेरे करीब होता है..जरा दूर बैठे ही समझा इन्हे कि तेरा खौफ इन का क्या कर सकता है..
मेरे अश्कों के बहाने की सज़ा तू भी इन को दे सकता है...
मिल कर हम को डराने लगी..तभी बिजली की कड़क से हम घबराए और तुझे याद कर रो पड़े..क्यों
ऐसा होता है,जब जब तू दूर होता है यह मौसम हम को खौफ देने लगता है..कैसे बताए इस को कि तू
तो हरदम मेरे करीब होता है..जरा दूर बैठे ही समझा इन्हे कि तेरा खौफ इन का क्या कर सकता है..
मेरे अश्कों के बहाने की सज़ा तू भी इन को दे सकता है...