हज़ारो अँधिया आती रही..कभी किसी का कुछ छीना,कभी किसी को बेगाना सा कर दिया..बिखरे ना
जाने पत्ते कितने,टूट के रह गए हज़ारो अफ़साने..कोई दिया पल भर मे बुझ गया तो कोई दिया बिन
बाती बरसो जलता रहा..प्यार के प्रेमी जो सांस ना लेते थे बिन इक दूजे के..कभी ना मिल पाए इस आंधी
के चलते..करिश्मा कही ऐसा भी रहा,जिन के मिलने की कोई आस ना थी..वो बंध गए प्रेम के अटूट
बंधन मे..कुदरत तेरे रंग निराले,किसी को बांधा तो किसी को तोडा...
जाने पत्ते कितने,टूट के रह गए हज़ारो अफ़साने..कोई दिया पल भर मे बुझ गया तो कोई दिया बिन
बाती बरसो जलता रहा..प्यार के प्रेमी जो सांस ना लेते थे बिन इक दूजे के..कभी ना मिल पाए इस आंधी
के चलते..करिश्मा कही ऐसा भी रहा,जिन के मिलने की कोई आस ना थी..वो बंध गए प्रेम के अटूट
बंधन मे..कुदरत तेरे रंग निराले,किसी को बांधा तो किसी को तोडा...