Thursday 5 March 2020

देखा आज परिंदो को संग-संग उड़ते हुए...इक दूजे के लिए,बने इक दूजे के लिए..यह सारा आकाश जो

आशियाना है इन का..यह बहती हवा है जो जीवन है इन का..मर्ज़ी हुई तो रुक दिए,जी किया तो संग उड़

लिए...कल की किसी भी खबर से अनजान,मशगूल है गुफ्तगू मे अपनी..ना कोई वादा फिर भी संग-संग

चल रही साँसे इन की..आ चल हम भी उड़ चले इन परिंदो की तरह..इक दूजे के लिए,बने हम भी इक

दूजे के लिए...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...