Tuesday 31 March 2020

पत्थर सिर्फ पत्थर नहीं होते..उन को पूजा जाए शिद्दत से,उन को सराहा जाए सच्ची भावना से..तो उस मे

भी भगवान् मिल जाते है..हम ने पढ़ा था क़िताबों मे.. हम ने सुना था बाबा की आवाज़ों मे..ठीक वैसा हम

ने भी किया...एक मामूली पत्थर को हम ने मंदिर मे रखा..शिद्दत से उस को पूजा..नेक भावना अर्पित कर

दी हम ने..कोई कसर ना छोड़ी हम ने..भूल गए यह घोर कलयुग है..पत्थर कैसे कंचन हो सकता है..कुछ

वक़्त गुजरने के बाद,दरारें दिखने लगी पत्थर मे..टूटा दिल टूटी आशा..पत्थर तो पत्थर रहा..आज मंदिर

मे उसी भगवान् को रखा है,जो सदा आराध्य रहे हमारे..सदियों से जो सांचे-पावन है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...