वो भी इक शाम थी,यह भी इक शाम है...और इन सब के दरमियाँ वो कौन सा मुकाम है..इंतज़ार कल
भी था,इंतज़ार आज भी है...मिलन की घड़ियां ना आए गी कभी,यह सोच दिल परेशां भी है..क्या कभी
ऐसा होगा कि मेरी यह आंखे बंद होने लगे और तू मुझे मेरे नाम से आवाज़ दे..महक जाए फिर यह हवा.
खिल जाए दुबारा से यह फ़िज़ा..क्यों है उम्मीद तुम बस आवाज़ देने को हो..यह मेरा भरम है या तुम बस
आने को हो...
भी था,इंतज़ार आज भी है...मिलन की घड़ियां ना आए गी कभी,यह सोच दिल परेशां भी है..क्या कभी
ऐसा होगा कि मेरी यह आंखे बंद होने लगे और तू मुझे मेरे नाम से आवाज़ दे..महक जाए फिर यह हवा.
खिल जाए दुबारा से यह फ़िज़ा..क्यों है उम्मीद तुम बस आवाज़ देने को हो..यह मेरा भरम है या तुम बस
आने को हो...