आज चारों तरफ आग ही आग है..पर धुआँ जहरीला है..बरसो पहले यही आग थी,मगर धुआँ पाक-साफ़
से जयदा था..आज तबाही देखे गे हम,इस जहरीली आग की...शायद सब भूल चुके है,साफ़ ज़मीर के
उजले मायने...मायनो का मतलब तू ना जाने वो भी ना जाने..आँखों का यह बहता नीर कहे,काश....ऐसा
ना होता..मगर आग तो फैल चुकी,शायद भस्म हम भी हो जाये गे..भस्म होने से अब क्या डरना..डर के
जीना भी है कोई जीना..दांव पे लगी यह ज़िंदगी कहती,कुछ सपने मेरे भी थे..चिता बन ना जाए यह सपने
हम ने आग को तेज़ी दे दी...
से जयदा था..आज तबाही देखे गे हम,इस जहरीली आग की...शायद सब भूल चुके है,साफ़ ज़मीर के
उजले मायने...मायनो का मतलब तू ना जाने वो भी ना जाने..आँखों का यह बहता नीर कहे,काश....ऐसा
ना होता..मगर आग तो फैल चुकी,शायद भस्म हम भी हो जाये गे..भस्म होने से अब क्या डरना..डर के
जीना भी है कोई जीना..दांव पे लगी यह ज़िंदगी कहती,कुछ सपने मेरे भी थे..चिता बन ना जाए यह सपने
हम ने आग को तेज़ी दे दी...