छन छन छन..चूड़ियों की यह आवाज़ आप को सोने ना दे गी...गुस्ताखी ना कीजिए हमारी शान मे,यह
कातिल नज़र आप को जीने ना दे गी..कुछ तो बोलिए हम से,ख़ामोशी इतनी जान हमारी ले कर ही
छोड़े गी..माना की चाँद का बसेरा आसमां की पनाहो मे है..मगर सूरज का शबाब उस के बसेरे से
कम तो नहीं..लम्हो की रवानगी चलती जाए गी और यह गहन ख़ामोशी हम को अंदर तक तोड़ जाए गी..
कातिल नज़र आप को जीने ना दे गी..कुछ तो बोलिए हम से,ख़ामोशी इतनी जान हमारी ले कर ही
छोड़े गी..माना की चाँद का बसेरा आसमां की पनाहो मे है..मगर सूरज का शबाब उस के बसेरे से
कम तो नहीं..लम्हो की रवानगी चलती जाए गी और यह गहन ख़ामोशी हम को अंदर तक तोड़ जाए गी..