Thursday 26 March 2020

छन छन छन..चूड़ियों की यह आवाज़ आप को सोने ना दे गी...गुस्ताखी ना कीजिए हमारी शान मे,यह

कातिल नज़र आप को जीने ना दे गी..कुछ तो बोलिए हम से,ख़ामोशी इतनी जान हमारी ले कर ही 

छोड़े गी..माना की चाँद का बसेरा आसमां की पनाहो मे है..मगर सूरज का शबाब उस के बसेरे से

कम तो नहीं..लम्हो की रवानगी चलती जाए गी और यह गहन ख़ामोशी हम को अंदर तक तोड़ जाए गी..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...