ना जाने कितने लिपे-पुते चेहरे इन दिनों बेरंग हो जाए गे..नकली खूबसूरती पे नज़्म लिखने वाले कितने
मज़नू बेवकूफ बन जाए गे..वो मज़नू जो देखते रहे उस चेहरे को,जो सज़ा था रंगो की चादर मे..और
मजनूं लिख रहा था,खूबसूरती की परिभाषा इस तस्वीर मे देखो..रूहानी खूबसूरती के मायने तो अब
सामने आए गे..जो दीवार साफ़-पावन है,उस को नकली रंगो की जरुरत ही क्या..जिसे सजाया है खुद
कुदरत ने अपनी माया से,उस को किसी भी मजनूं की तारीफ की जरुरत क्या..रूहे-तस्वीर जितनी पाक
होगी,उतनी ही वो दुनियां मे इज़्ज़त की मूरत होगी..
मज़नू बेवकूफ बन जाए गे..वो मज़नू जो देखते रहे उस चेहरे को,जो सज़ा था रंगो की चादर मे..और
मजनूं लिख रहा था,खूबसूरती की परिभाषा इस तस्वीर मे देखो..रूहानी खूबसूरती के मायने तो अब
सामने आए गे..जो दीवार साफ़-पावन है,उस को नकली रंगो की जरुरत ही क्या..जिसे सजाया है खुद
कुदरत ने अपनी माया से,उस को किसी भी मजनूं की तारीफ की जरुरत क्या..रूहे-तस्वीर जितनी पाक
होगी,उतनी ही वो दुनियां मे इज़्ज़त की मूरत होगी..