Saturday 28 March 2020

ना जाने कितने लिपे-पुते चेहरे इन दिनों बेरंग हो जाए गे..नकली खूबसूरती पे नज़्म लिखने वाले कितने

मज़नू बेवकूफ बन जाए गे..वो मज़नू जो देखते रहे उस चेहरे को,जो सज़ा था रंगो की चादर मे..और

मजनूं लिख रहा था,खूबसूरती की परिभाषा इस तस्वीर मे देखो..रूहानी खूबसूरती के मायने तो अब

सामने आए गे..जो दीवार साफ़-पावन है,उस को नकली रंगो की जरुरत ही क्या..जिसे सजाया है खुद

कुदरत ने अपनी माया से,उस को किसी भी मजनूं की तारीफ की जरुरत क्या..रूहे-तस्वीर जितनी पाक

होगी,उतनी ही वो दुनियां मे इज़्ज़त की मूरत होगी.. 

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...