तुझे कान्हा माना तभी इन बातो का अर्थ जाना...प्रेम नाम नहीं पा लेने का..प्रेम तो नाम है प्रेम मे डूब
जाने का..पा लेना ही प्रेम होता तो इतना प्रेम इतना शुद्ध कभी ना होता..तेरी आंख से कोई आंसू ना
निकले,तेरे दिल मे दर्द की कोई परछाई भी ना उभरे...तू जहां-जहां रखे कदम वहां कोई कंकर भी
ना निकले..क्या कहे तुझ से कान्हा,तेरे बिना मेरा कोई वज़ूद नहीं..तू है तो मैं हू,तू नहीं तो मैं भी नहीं..
इस बात से कभी अनजान ना रहना..मेरे शुद्ध प्रेम की हमेशा कदर करना...
जाने का..पा लेना ही प्रेम होता तो इतना प्रेम इतना शुद्ध कभी ना होता..तेरी आंख से कोई आंसू ना
निकले,तेरे दिल मे दर्द की कोई परछाई भी ना उभरे...तू जहां-जहां रखे कदम वहां कोई कंकर भी
ना निकले..क्या कहे तुझ से कान्हा,तेरे बिना मेरा कोई वज़ूद नहीं..तू है तो मैं हू,तू नहीं तो मैं भी नहीं..
इस बात से कभी अनजान ना रहना..मेरे शुद्ध प्रेम की हमेशा कदर करना...