Wednesday 4 March 2020

यह बरखा फिर लौट आई है..सपनो को हकीकत मे बदलने के लिए..अपने चेहरे से हटा यह शिकन,

बहार आई है ना लौटने के लिए...यूँ नन्ही नन्ही बातों पे हमीं से खफा होना..मुस्कराहट को रोक लेना

और हमी पे अधिकार जताना..हमारी सफाई सुने बिना,बस खुद ही बोलते जाना..वल्लाह,यह अदा तो

मुझे दीवाना कर छोड़े गी..इस दिल मे कितने तीर दागों गे,कितनी बार इस को घायल करते जाओ गे...

कभी तो इत्मीनान से बात करो,कि यह बरखा फिर लौट आई है..सपनो को हकीकत मे बदलने के लिए..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...