बात इश्क-हुस्न के अफ़साने की होती तो वक़्त यह क़हर का होता..बात गर जज्बातों के पिघलने की
होती तो शायद समां यह रुला देता..बात जब दौलत और तोहफों की और चलती तो शायद यह प्यार
गुनाह हो जाता..जिक्र जो जिस्मों की अहमियतों का होता तो मुहब्बत सिर्फ बर्बादी की वजह कहलाती..
प्यार के यह कण जब भी इबादत की और ढलते है तो प्यार सिर्फ सिर्फ पूजा की हकीकत होता है..
प्यार ऐसा जब तल्क़ इस धरती पे कायम है,यह दुनियाँ प्यार की जीती-जागती अमानत है...
होती तो शायद समां यह रुला देता..बात जब दौलत और तोहफों की और चलती तो शायद यह प्यार
गुनाह हो जाता..जिक्र जो जिस्मों की अहमियतों का होता तो मुहब्बत सिर्फ बर्बादी की वजह कहलाती..
प्यार के यह कण जब भी इबादत की और ढलते है तो प्यार सिर्फ सिर्फ पूजा की हकीकत होता है..
प्यार ऐसा जब तल्क़ इस धरती पे कायम है,यह दुनियाँ प्यार की जीती-जागती अमानत है...