बिन पिए क्यों मदहोश है आप..बिन बुलाए क्यों आते है आप...रखते है कदम कही मगर पड़ते है कही..
ऐसा कौन सा इरादा है जो खुद को भी नहीं बता पा रहे है आप...दिन को कहते है रात और रात की
कोई कहानी समझ नहीं पाते है आप..माशा अल्लाह यह दीवानगी है या किसी के गहरे प्यार का असर..
जो खुद के हो कर भी खुद के पास नहीं है आप...
ऐसा कौन सा इरादा है जो खुद को भी नहीं बता पा रहे है आप...दिन को कहते है रात और रात की
कोई कहानी समझ नहीं पाते है आप..माशा अल्लाह यह दीवानगी है या किसी के गहरे प्यार का असर..
जो खुद के हो कर भी खुद के पास नहीं है आप...