Tuesday 31 March 2020

भूख प्यास का क्रंदन..
गरीबी के दुःख का क्रंदन..
बीमारी के डर का क्रंदन..
औलाद के खोने का क्रंदन...
घर ऊजड़ जाने का क्रंदन..
रूह को रुला देने का क्रंदन..
धोखा देने का क्रंदन..
जान खोने के डर का क्रंदन..
जो पाया उस के खोने का क्रंदन..
क्यों अब याद आ रहा दुःख दे के खुद सुख ना पाने का क्रंदन..
जो बोया है सो काटे गा,फिर क्यों अब इतना क्रंदन...
गुनाह किया फिर अब कैसा क्रंदन..
प्रभु अपनी शरण मे ले लो,अब ऐसा क्यों क्रंदन...
उस की माया वो ही जाने,कर ले अब कितना भी क्रंदन..
जान बचे गी अब तेरी बन्दे,जब माने गा अपनी गलती और खुल के करे गा मन का क्रंदन...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...