बरखा गई,मौसम सर्द भी गया...यह भीगा भीगा मौसम क्यों शोख़िया कर रहा...रात की आहट पाते ही
सूरज क्यों छुप जाता है..नज़र ना लगे ज़माने को,जाते जाते गहरा काला टीका लगा जाता है..तब यह
चाँद शरमा कर जग को उजाला देता है..इतने उजाले मे क्यों हम को अपना चाँद नज़र नहीं आता है..
अब ढूंढे उजाला कौन सा ऐसा जो चाँद हमारा आ जाए..भर दे झोली जो प्यार से और सवेरा लहराए..
सूरज क्यों छुप जाता है..नज़र ना लगे ज़माने को,जाते जाते गहरा काला टीका लगा जाता है..तब यह
चाँद शरमा कर जग को उजाला देता है..इतने उजाले मे क्यों हम को अपना चाँद नज़र नहीं आता है..
अब ढूंढे उजाला कौन सा ऐसा जो चाँद हमारा आ जाए..भर दे झोली जो प्यार से और सवेरा लहराए..