Monday 30 March 2020

हम सोचते रहे कि वक़्त हमारा है..जो मिला वो सब हमारा है..सजा ली इक नन्ही सी दुनियाँ दिल के एक

कोने मे..रोज़ संवारते रहे कभी प्यार और कभी आंसू की धारा से..रोज़ ही यू लगता,सूंदर कितना मेरा यह

जहान है..दिल को टटोला तो पता चला,यहाँ फ़रिश्ते का कोई स्थान है..पूजा की थाली मे पहला फूल उस

के नाम किया..आया तूफ़ान और दर्द का सैलाब,वो फरिश्ता नहीं वो कागज़ का टुकड़ा था..तभी तो इस

आंधी मे खो गया..हम तब समझे कि वक़्त कितना बेरहम होता है..वो जब चाहे,किसी से कुछ भी छीन

लेता है..अश्क गिरे और यह वक़्त,रेत की तरह हाथ से दूर कही बहुत ही दूर फिसल गया..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...