बात बात पे ना उलझे गे तुझ से,यह वादा हमारा खुद से है...नाराज़ क्यों होना है कि मुहब्बत मे यह
वादा भी हमारा है..कौन सी ज़न्नत की ख़ुशी तुम से,हम ने मांगी है..दौलत-तोहफे दिला दो हमें,यह
कब तुम से चाहा है..सकून से जीने के लिए,तेरे मीठे दो बोल ही हमारे लिए काफी है..उलझना भी
नहीं,नाराज़गी को पास आने देना भी नहीं..मगर सोच लेना,बिन बात जो सताया मुझे तो तेरी खैर नहीं..
वादा भी हमारा है..कौन सी ज़न्नत की ख़ुशी तुम से,हम ने मांगी है..दौलत-तोहफे दिला दो हमें,यह
कब तुम से चाहा है..सकून से जीने के लिए,तेरे मीठे दो बोल ही हमारे लिए काफी है..उलझना भी
नहीं,नाराज़गी को पास आने देना भी नहीं..मगर सोच लेना,बिन बात जो सताया मुझे तो तेरी खैर नहीं..