क्या हुआ जो यह जहाँ खुद मे ग़ुम हो गया...क्या हुआ जो साँसों को पल-पल का हिसाब देना पड़ गया..
क्या हुआ जो मौत का खौफ गहरा गया..प्यार का मोल इन सब से परे बहुत जुदा होता है..पाकीजगी की
दहलीज़ पे खड़ा अपने प्यार के लिए दुआ ही दुआ करता है...प्यार मे जिस्मों का मोल कब होता है..प्यार
मे जुदाई का एहसास भी कहाँ होता है..जो रूह को रूह के मायने समझा दे,ऐसा प्यार नसीब वालों को
ही मिला करता है...
क्या हुआ जो मौत का खौफ गहरा गया..प्यार का मोल इन सब से परे बहुत जुदा होता है..पाकीजगी की
दहलीज़ पे खड़ा अपने प्यार के लिए दुआ ही दुआ करता है...प्यार मे जिस्मों का मोल कब होता है..प्यार
मे जुदाई का एहसास भी कहाँ होता है..जो रूह को रूह के मायने समझा दे,ऐसा प्यार नसीब वालों को
ही मिला करता है...