Monday 23 March 2020

क्या हुआ जो यह जहाँ खुद मे ग़ुम हो गया...क्या हुआ जो साँसों को पल-पल का हिसाब देना पड़ गया..

क्या हुआ जो मौत का खौफ गहरा गया..प्यार का मोल इन सब से परे बहुत जुदा होता है..पाकीजगी की

दहलीज़ पे खड़ा अपने प्यार के लिए दुआ ही दुआ करता है...प्यार मे जिस्मों का मोल कब होता है..प्यार

मे जुदाई का एहसास भी कहाँ होता है..जो रूह को रूह के मायने समझा दे,ऐसा प्यार नसीब वालों को

ही मिला करता है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...