Tuesday 17 March 2020

नींद की कोई मरज़ी नहीं आज आने की..आँखों को कोई जरुरत ही नहीं आज इन पलकों के घने

शामियाने की..यह हवा भी दे चुकी सन्देश कि आज थम जाना है मुझे...वादियों मे दूर तल्क खामोश

सा अन्धकार छाया है..फिर भी यह आंखे सोने से इंकार करती है..जागना है सारी रात,इस बात का

इकरार करती है...अब जंग तो नींद और आँखों मे है..फैसला इस हवा और वादियों का है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...