नींद की कोई मरज़ी नहीं आज आने की..आँखों को कोई जरुरत ही नहीं आज इन पलकों के घने
शामियाने की..यह हवा भी दे चुकी सन्देश कि आज थम जाना है मुझे...वादियों मे दूर तल्क खामोश
सा अन्धकार छाया है..फिर भी यह आंखे सोने से इंकार करती है..जागना है सारी रात,इस बात का
इकरार करती है...अब जंग तो नींद और आँखों मे है..फैसला इस हवा और वादियों का है...
शामियाने की..यह हवा भी दे चुकी सन्देश कि आज थम जाना है मुझे...वादियों मे दूर तल्क खामोश
सा अन्धकार छाया है..फिर भी यह आंखे सोने से इंकार करती है..जागना है सारी रात,इस बात का
इकरार करती है...अब जंग तो नींद और आँखों मे है..फैसला इस हवा और वादियों का है...