Tuesday 24 March 2020

 ''जान भी बेशक हमारी ले लीजिए ''मासूम अदा से कहे तेरे यह मासूम लफ्ज़,दिल हमारा हमीं से चुरा

कर कब ले गए..पता नहीं चला..वो तेरी गहरी काली आंखे,जो मुझे तेरे वज़ूद की गहराई का एहसास

दिला जाती है...आवाज़ मे जैसे शहनाई की झंकार मुझे सुनाई देती है...तेरी ही परछाई बन तेरे साथ

रहू..तेरे हर दर्द को पी कर तुझे दुनियां की हर ख़ुशी दे दू..जान कैसे तेरी ले पाए गे,जब कि तेरी जान

से ही मेरी जान चलती है..तेरी सलामती के लिए दुआ करते-करते,कब खुद को भूल गए..पता नहीं चला..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...