Saturday 14 March 2020

यह रात गुजरे गी कैसी कि आसमां आज खाली-खाली है..ना चाँद है ना सितारे है और चांदनी भी गम

मे डूबी-डूबी है..आंखे ना चाहते हुए भी बरस रही है आज..तेरी याद बहुत आ रही है आज..देख हमारी

हालत यह बरसात भी बरस रही है आज...रुकने को तैयार नहीं कि हमारा साथ देने को है बेक़रार..

सीने का दर्द उठा इतना गहरा कि ओले भी बरसे हमारे दर्द के साथ..दुनियां कहां समझे गी कि यह

बादलो की गड़गड़ाहट रोई है या हमारे दिल की आवाज़...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...