सरसराहट और बेचैनी क्यों है हर तरफ हवाओं मे....कुछ चुभन कभी कांटे तो कभी डर को जन्म देती
यह हवाएं...ना डर इन की बेचैनी और चुभन से..हिम्मत ना होगी तुझ मे तो यह तुझी पे हावी हो जाए गी..
हौसला अपना बुलंद रख,यह किसी का कुछ ना बिगाड़ पाए गी...जब भी डर लगे,मालिक का हाथ थाम
लेना..कर्म अपने साफ़ रखना,दिल किसी का मत दुखाना..फिर क्या मज़ाल यह क्यों यहाँ रुक पाए गी...
यह हवाएं...ना डर इन की बेचैनी और चुभन से..हिम्मत ना होगी तुझ मे तो यह तुझी पे हावी हो जाए गी..
हौसला अपना बुलंद रख,यह किसी का कुछ ना बिगाड़ पाए गी...जब भी डर लगे,मालिक का हाथ थाम
लेना..कर्म अपने साफ़ रखना,दिल किसी का मत दुखाना..फिर क्या मज़ाल यह क्यों यहाँ रुक पाए गी...