Monday 16 March 2020

खुशबू से भरा यह कैसा हवा का झौंका था..जो आया भी और महका कर हम को चला भी गया..खशबू

से भरे खुद को आईने मे निहारते ही रहे..नूर देख अपने चेहरे का उसी हवा के झौंके का फिर इंतजार

करने लगे..वादियों मे कभी कभी ऐसी महकती हवा नसीब वालो का दामन महकाया करती है..रात के

ढलने से पहले बहुत कुछ समझा जाया करती है..समेटे बैठे है खुद मे इस रंगीन हवा के झौंके को,क्या

पता कुदरत फिर कब नवाजे गी हमें इस खुशबू भरे हवा के झौंके से...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...