Monday 30 March 2020

सोच रहे है,जब तक है ज़िंदा..क्यों ना खूबसूरती पे ही कुछ लिख दे..कितनो को समझा जाए,खूबसूरती

होती है कैसी..खूबसूरती का है बड़ा पुराना गहरा रिश्ता मन की सुंदरता के साथ..मन होता है जब बेहद

साफ़ और सूंदर,खूबसूरती को कोई नहीं लगाता दाग..बन जाती है इबादत के जैसी,जब कुदरत दे अपना

हाथ..नकली रंगो का कोई नहीं होता इस खूबसूरती मे कोई काम..नकली सूरत,नकली चेहरे और दुनियाँ

समझी उस को खूबसूरती का नया मुखौटा,नई पहचान..काश..लोगो की सोच भी खूबसूरत होती,ना आते

मन मे कुलषित विचार..असली सूरत को नहीं जरुरत,किसी की तारीफ,वो खुद मे है अप्सरा और

मेहबूब की इबादत का नाम....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...