नज़र मेरी आप पे ऐतबार नहीं करती...ग़ुम हो जाते है आप बार-बार,यह नज़र ढूंढ़ती है हर तरफ,क्यों
आप की रहनुमाई कही मिलती नहीं ...हाज़िरजवाबी आप की.. ''यह नज़र मेरी, तेरी तरह बेपरवाह
नहीं.आप के दीदार के लिए भटकती है दर-ब-दर,मगर आप ही की रिहाइश हम को कही मिलती नहीं..
झरनों सी आप की हंसी,जिस पे दिल हार बैठे कब से..यह भी याद नहीं नहीं..'' बेसाख्ता मुँह से
निकला हमारे,हाल तो हमारा भी कुछ ऐसा ही है..आप ढूंढ़ते है हमें और हम आप को..मगर इक दूजे
के दिल मे किसी ने किसी को ढूंढा अब तक क्यों नहीं ??
आप की रहनुमाई कही मिलती नहीं ...हाज़िरजवाबी आप की.. ''यह नज़र मेरी, तेरी तरह बेपरवाह
नहीं.आप के दीदार के लिए भटकती है दर-ब-दर,मगर आप ही की रिहाइश हम को कही मिलती नहीं..
झरनों सी आप की हंसी,जिस पे दिल हार बैठे कब से..यह भी याद नहीं नहीं..'' बेसाख्ता मुँह से
निकला हमारे,हाल तो हमारा भी कुछ ऐसा ही है..आप ढूंढ़ते है हमें और हम आप को..मगर इक दूजे
के दिल मे किसी ने किसी को ढूंढा अब तक क्यों नहीं ??