आवाज़ दे मुझ को किस ने रोका है..बिंदास जी किस ने टोका है...खुल के मुस्कुरा,परवरदिगार ने खुद
हम को ढूंढा है...हज़ारो तूफ़ान आते है तो आने दे ना..बिजलियां कड़कती है तो कड़कने दे ना ...अपने
ही आशियाने मे है..कुदरत की पनाहों मे है..रह रह के डरना क्यों..साँसे अभी है तो इन के ख़तम होने से
पहले रोना क्यों...खिलखिला जोर से,यह समां मस्ती का है...बुजदिल नहीं जो मौत से डर जाए गे,मौत को
जब आना है तो आ ही जाए गी..बस अभी तो तू मुझे आवाज़ दे,जी बिंदास किस ने टोका है...
हम को ढूंढा है...हज़ारो तूफ़ान आते है तो आने दे ना..बिजलियां कड़कती है तो कड़कने दे ना ...अपने
ही आशियाने मे है..कुदरत की पनाहों मे है..रह रह के डरना क्यों..साँसे अभी है तो इन के ख़तम होने से
पहले रोना क्यों...खिलखिला जोर से,यह समां मस्ती का है...बुजदिल नहीं जो मौत से डर जाए गे,मौत को
जब आना है तो आ ही जाए गी..बस अभी तो तू मुझे आवाज़ दे,जी बिंदास किस ने टोका है...