अपने घरोंदे मे रहना है,बस इतना ही तो करना है..इक दूजे से सिर्फ कुछ वक़्त दूर ही तो रहना है..
मना तो नहीं गुफ्तगू करना..मना नहीं ईश्वर की अराधना करना..मना नहीं किताबों से जुड़े रहना..
दर्द की चादर से बाहर निकल,दुनियां घर के भीतर भी तो सुंदर है..काम खुद से करना,इस मे बुरा
क्या है..अपने लिए अपनी ज़िंदगी को संभाले रखना..प्यार खुद से करने के बराबर ही तो है..कुछ ना
करो ''सरगोशियां'' को पढ़ो..पढ़ते ही रहो.. ''शायरा'' का लिखा हर लफ्ज़ समझने की कोशिश तो करो...
मना तो नहीं गुफ्तगू करना..मना नहीं ईश्वर की अराधना करना..मना नहीं किताबों से जुड़े रहना..
दर्द की चादर से बाहर निकल,दुनियां घर के भीतर भी तो सुंदर है..काम खुद से करना,इस मे बुरा
क्या है..अपने लिए अपनी ज़िंदगी को संभाले रखना..प्यार खुद से करने के बराबर ही तो है..कुछ ना
करो ''सरगोशियां'' को पढ़ो..पढ़ते ही रहो.. ''शायरा'' का लिखा हर लफ्ज़ समझने की कोशिश तो करो...