Wednesday 18 March 2020

ना कजरे की धार न आँखों मे कोई शृंगार..लब सिले हुए है,करने के लिए कुछ दुआ और कुछ संस्कार..

ना हाथो मे कंगन ना गले मे मोतियों का हार..फिर भी हम दुनिया मे,कितनो के लिए बन गए खुदा तो

किसी के लिए  हो गए भगवान्...माँ-बाबा की दुआ मे पले इक बच्चे रहे खास...जो कह गए वो आज भी

करने से नहीं है इंकार..सादगी मन मे लिए,इस दुनिया का प्यार पा लिया..ना हम खुदा है ना ही कोई

भगवान्..बस आप जैसे ही इक इंसान है,संस्कारो की धरोहर साथ लिए मामूली से इंसान...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...