Sunday 29 March 2020

ईश्वर के बनाए नियमों पे जो चला जाता..माँ-बाबा के संस्कारो को साथ रखा होता..कभी किसी बेबस

का दिल ना दुखाया होता..बेज़ुबानों को अपना भोजन ना बनाया होता..तो आज संसार का यह हाल ना

होता..कहने को तो कोई भी कह दे,हम कसूरवार नहीं.. एक नन्ही सी कुदरत की आफत ने,जब घरो

मे बांध दिया..सोचिए जरा,वो और क्या कर सकती है..जीना है जितने पल,बेखौफ जी ले..जाने कब किस

की दुआ साँसे देने के काम आ जाए...पर जी इस शर्त के साथ,जीवन जो मिला दुबारा तो किसी का दिल

ना दुखाना है..ईश्वर का उपकार भूल ना जाना है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...