ईश्वर के बनाए नियमों पे जो चला जाता..माँ-बाबा के संस्कारो को साथ रखा होता..कभी किसी बेबस
का दिल ना दुखाया होता..बेज़ुबानों को अपना भोजन ना बनाया होता..तो आज संसार का यह हाल ना
होता..कहने को तो कोई भी कह दे,हम कसूरवार नहीं.. एक नन्ही सी कुदरत की आफत ने,जब घरो
मे बांध दिया..सोचिए जरा,वो और क्या कर सकती है..जीना है जितने पल,बेखौफ जी ले..जाने कब किस
की दुआ साँसे देने के काम आ जाए...पर जी इस शर्त के साथ,जीवन जो मिला दुबारा तो किसी का दिल
ना दुखाना है..ईश्वर का उपकार भूल ना जाना है..
का दिल ना दुखाया होता..बेज़ुबानों को अपना भोजन ना बनाया होता..तो आज संसार का यह हाल ना
होता..कहने को तो कोई भी कह दे,हम कसूरवार नहीं.. एक नन्ही सी कुदरत की आफत ने,जब घरो
मे बांध दिया..सोचिए जरा,वो और क्या कर सकती है..जीना है जितने पल,बेखौफ जी ले..जाने कब किस
की दुआ साँसे देने के काम आ जाए...पर जी इस शर्त के साथ,जीवन जो मिला दुबारा तो किसी का दिल
ना दुखाना है..ईश्वर का उपकार भूल ना जाना है..