Saturday 28 March 2020

बुजदिल रह ज़माने तो रह..मगर दिल का तो साफ़ रह..औरत पे गलत नज़र डाल के खुद को मर्द
होने का फिर दावा ना कर..जिस की कोख से पैदा हुआ,जिस के हाथो मे पला..जिस ने खुद को भुला
कर तुझ को एहसास तक ना होने दिया...फिर भी तूने उस को उस का स्थान ना दिया..ढूंढी सिर्फ उस
मे सिर्फ खामियां और उस को आगे जाने से रोकता रहा..बगावत ना करे औरत तो फिर क्या करे,मक़ाम
अपना बनाने के लिए,खुद के हुनर को आगे लेन के लिए,खुद ना मरे तो क्या करे..वो खूबसूरत है तो भी
परेशानी,वो बदसूरत है तो भी बेहद परेशानी ..जिस को शिदत से चाहे,वो कुछ वक़्त बाद उस की बेकद्री करे..उस के इलावा किसी और की खूबसूरती पे भी मरे..उस से भी वादा,उस से भी वादा..ईमानदारी से कोसो दूर रहे..औरत की पाकीजगी को जो ना समझा,वो उस के वज़ूद को क्या माने गा..आज आक्रोश है मेरे लफ्ज़ो मे..खुद को इतना ऊँचा ना समझ कि औरत को खो के रो भी ना सके..''सरगोशियां'' सिर्फ प्रेम,प्यार,मुहब्बत के साथ औरत की गरिमा को भी समझाती है..प्यार कोई खेल नहीं,यह दुनिया को भी समझाती है..''सरगोशियां.इक प्रेम ग्रन्थ'' 

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...