Sunday 29 March 2020

महक रहे है किस बात पे..खुश है बहुत किस बात पे..बंद है अपने ही आशियाने मे,लगता है जैसे फ़िदा

है अपने ही आंगन मे लगे कुछ फूलों और पत्तो के खिल जाने पे...यह भी तो गज़ब है,इन को खिलते

देखना...गज़ब तो यह भी है,गलत इंसानो की गलत फितरत से दूर बच कर अपने ही घर मे रहना..

मज़े से अपनी पसंदीदा गीतों को सुनना..सकारात्मक सोच से जीना है,जब तक जीना है..वो ज़िंदगी भी

कोई ज़िंदगी होगी,जब रो कर हर पल जीना है..जो मिला है,जितना मिला है..उसी मे ख़ुशी-ख़ुशी रह लेना

है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...