वक़्त तो अब आया है सब के कर्मो के हिसाब का...कुदरत खुद आई है सब का साफ़-साफ़ इंसाफ करने
का..डरने की जरूरत किस को है,किस को नहीं..यह तो सब का अंतर्मन ही जान रहा होगा..दौलत को
इकठ्ठा कर के क्या हासिल होने वाला है..जब साँसे ही कुदरत ना दे गी तो यह दौलत क्या साथ ले जाए
गा..कहते आए है ना जाने कब से,धरा ही है रहने के लिए..आसमां को छू ले मगर फिर धरा को चूम ले..
किसी का दिल दुःखा कर कोई आज तक सकूँ से जी पाया है..बात मुहब्बत की करे तो अब भी वक़्त
दे रही कुदरत,इस को भी शुद्धता से निभा दे..बेवफाई कर के कुदरत की सज़ा पाने को हर पल
तैयार रह..क्यों कि उस कि लाठी मे कभी आवाज़ नहीं होती..
का..डरने की जरूरत किस को है,किस को नहीं..यह तो सब का अंतर्मन ही जान रहा होगा..दौलत को
इकठ्ठा कर के क्या हासिल होने वाला है..जब साँसे ही कुदरत ना दे गी तो यह दौलत क्या साथ ले जाए
गा..कहते आए है ना जाने कब से,धरा ही है रहने के लिए..आसमां को छू ले मगर फिर धरा को चूम ले..
किसी का दिल दुःखा कर कोई आज तक सकूँ से जी पाया है..बात मुहब्बत की करे तो अब भी वक़्त
दे रही कुदरत,इस को भी शुद्धता से निभा दे..बेवफाई कर के कुदरत की सज़ा पाने को हर पल
तैयार रह..क्यों कि उस कि लाठी मे कभी आवाज़ नहीं होती..