Saturday 28 March 2020

वक़्त तो अब आया है सब के कर्मो के हिसाब का...कुदरत खुद आई है सब का साफ़-साफ़ इंसाफ करने

का..डरने की जरूरत किस को है,किस को नहीं..यह तो सब का अंतर्मन ही जान रहा होगा..दौलत को

इकठ्ठा कर के क्या हासिल होने वाला है..जब साँसे ही कुदरत ना दे गी तो यह दौलत क्या साथ ले जाए

गा..कहते आए है ना जाने कब से,धरा ही है रहने के लिए..आसमां को छू ले मगर फिर धरा को चूम ले..

किसी का दिल दुःखा कर कोई आज तक सकूँ से जी पाया है..बात मुहब्बत की करे तो अब भी वक़्त

दे रही कुदरत,इस को भी शुद्धता से निभा दे..बेवफाई कर के कुदरत की सज़ा पाने को हर पल

तैयार रह..क्यों कि उस कि लाठी मे कभी आवाज़ नहीं होती..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...