Friday 6 March 2020

बहुत ख़ामोशी है फिज़ाओ मे..यह हवाएं भी खामोश है..इंतिहा है ख़ामोशी की...इंतिहा है इतने सन्नाटे

की...एक जर्रा भी सांस ले तो आवाज़ सुनाई देती है..हाथ से सुई भी गिरे तो खनक की आवाज़ आ जाती

है..कोयल की कू कू भी आज खामोश थी..सुबह तो जैसे मुँह पे ताला लगाए बंद थी..यह धूप चुपके से

आई है मगर ख़ामोशी की चादर लिए साथ आई है..तौबा..अब तो यू लगता है कि दम घुट जाए गा..करते

है गुजारिश सब से ,गूंज को हम तक आने दीजिए कि ख़ामोशी इतनी हम को डस जाए गी....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...