बहुत ख़ामोशी है फिज़ाओ मे..यह हवाएं भी खामोश है..इंतिहा है ख़ामोशी की...इंतिहा है इतने सन्नाटे
की...एक जर्रा भी सांस ले तो आवाज़ सुनाई देती है..हाथ से सुई भी गिरे तो खनक की आवाज़ आ जाती
है..कोयल की कू कू भी आज खामोश थी..सुबह तो जैसे मुँह पे ताला लगाए बंद थी..यह धूप चुपके से
आई है मगर ख़ामोशी की चादर लिए साथ आई है..तौबा..अब तो यू लगता है कि दम घुट जाए गा..करते
है गुजारिश सब से ,गूंज को हम तक आने दीजिए कि ख़ामोशी इतनी हम को डस जाए गी....
की...एक जर्रा भी सांस ले तो आवाज़ सुनाई देती है..हाथ से सुई भी गिरे तो खनक की आवाज़ आ जाती
है..कोयल की कू कू भी आज खामोश थी..सुबह तो जैसे मुँह पे ताला लगाए बंद थी..यह धूप चुपके से
आई है मगर ख़ामोशी की चादर लिए साथ आई है..तौबा..अब तो यू लगता है कि दम घुट जाए गा..करते
है गुजारिश सब से ,गूंज को हम तक आने दीजिए कि ख़ामोशी इतनी हम को डस जाए गी....