वो लफ्ज़ ही क्या ..हम लिखे और यह ज़माना हमीं की दास्ताँ मान ले...हम तो वो जादूगर है,जो दिलों से दिल निकाल लेते है..यह लफ्ज़ गर सब पे भारी पड़े तो यह शायरा भी क्या करे..कलम जब भी ले हाथ मे तो कुछ सोचती नहीं यह कलम...पाताल की गहराइयों से तो कभी धरती की तह से नीचे..यह शायरा जब भी लफ्ज़ उठाती है तो तहलका मच जाता है..यह दुनियाँ कभी रो देती है तो कभी रूमानी हो जाती है..जब लफ्ज़ो का भार बढ़ जाये तो शायरा की ज़िंदगी को इन शब्दों से जोड़ लेती है. मेरी ज़िंदगी को मेरी ज़िंदगी ही रहने दो,यह गुजारिश सभी से यह शायरा करती है....''सरगोशियां'' का जादू सब के सर चढ़ कर बोले,यही तो यह शायरा चाहती है...''सरगोशियां,इक प्रेम ग्रन्थ''
Friday, 27 March 2020
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...
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सादगी पे हमारी कोई फिदा हो गया--आॅखो की गहराई पे हमारी,वो कहाानिया ही लिख गया--वजूद को हमारे जाने बिना,हमारे वजूद से वो जुडता ही गया--जिन...
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ना जुबाँ ही खुली,ना इशारा आँखों ने दिया..बात बनने के लिए साथ तेरी वफ़ा ने दिया....य़ू तो बिखरे है ज़ज्बात हज़ारो सीने मे मेरे,लिखते है लफ़्ज़ो...
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लाज शर्म के बंधनो से दूर,तेरी ही दुनिया मे कदम रखने चले आए है..पाँव की जंजीरो को तोड़,लोग क्या कहे गे-इस सोच से भी बहुत दूर,तुझ से मिलने च...