कभी अंधेरो मे रहे तो कभी उजालो मे जिए...मगर फिर भी सभी के दुलारे रहे..शिकायत किसी से ना
रही,बस खुद की दुनियाँ मे ढलते ही रहे...माँ कहती थी कि ''मेरे शब्दों मे बहुत नूर,बहुत ताकत है''..
जानती हू माँ झूठ नहीं कहती थी..आज इस जहाँ को दुआओं की बहुत जरुरत है..चाहते है,माँ का दिया
वो वरदान सच हो जाए...मांग रहे है,सभी के लिए ज़िंदगी का वरदान...माँ...तुम जहा भी हो,आज मेरे
शब्दों की लाज रख लेना..सब को ज़िंदगी की साँसों का वरदान दे देना....
रही,बस खुद की दुनियाँ मे ढलते ही रहे...माँ कहती थी कि ''मेरे शब्दों मे बहुत नूर,बहुत ताकत है''..
जानती हू माँ झूठ नहीं कहती थी..आज इस जहाँ को दुआओं की बहुत जरुरत है..चाहते है,माँ का दिया
वो वरदान सच हो जाए...मांग रहे है,सभी के लिए ज़िंदगी का वरदान...माँ...तुम जहा भी हो,आज मेरे
शब्दों की लाज रख लेना..सब को ज़िंदगी की साँसों का वरदान दे देना....