Saturday 21 March 2020

कभी अंधेरो मे रहे तो कभी उजालो मे जिए...मगर फिर भी सभी के दुलारे रहे..शिकायत किसी से ना

रही,बस खुद की दुनियाँ मे ढलते ही रहे...माँ कहती थी कि ''मेरे शब्दों मे बहुत नूर,बहुत ताकत है''..

जानती हू माँ झूठ नहीं कहती थी..आज इस जहाँ को दुआओं की बहुत जरुरत है..चाहते है,माँ का दिया

वो वरदान सच हो जाए...मांग रहे है,सभी के लिए ज़िंदगी का वरदान...माँ...तुम जहा भी हो,आज मेरे

शब्दों की लाज रख लेना..सब को ज़िंदगी की साँसों का वरदान दे देना....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...