आँखों ने किया दूर खुद से काजल की धार को कि इन आँखों मे तो साजन बसते है..लब क्यों सज़े किसी
भी रंगत से कि इन लबों को लफ्ज़ दुआ के कहने है..हाथों मे चूड़ियाँ बजे तो क्यों बजे कि यह खलल
कभी भी डाल देती है...गालों को किसी रंग से क्यों रँगे कि यह तो सनम को याद करते ही सुर्ख हो जाते
है..यह नादाँ दिल धड़कने की भाषा क्या जाने कि इस की वापसी पास हमारे अब नामुमकिन है..सब को
कुछ करने की जरूरत ही नहीं कि सादगी हमारे लिए हमारी पूंजी है...
भी रंगत से कि इन लबों को लफ्ज़ दुआ के कहने है..हाथों मे चूड़ियाँ बजे तो क्यों बजे कि यह खलल
कभी भी डाल देती है...गालों को किसी रंग से क्यों रँगे कि यह तो सनम को याद करते ही सुर्ख हो जाते
है..यह नादाँ दिल धड़कने की भाषा क्या जाने कि इस की वापसी पास हमारे अब नामुमकिन है..सब को
कुछ करने की जरूरत ही नहीं कि सादगी हमारे लिए हमारी पूंजी है...