Thursday 12 March 2020

आँखों ने किया दूर खुद से काजल की धार को कि इन आँखों मे तो साजन बसते है..लब क्यों सज़े किसी

भी रंगत से कि इन लबों को लफ्ज़ दुआ के कहने है..हाथों मे चूड़ियाँ बजे तो क्यों बजे कि यह खलल

कभी भी डाल देती है...गालों को किसी रंग से क्यों रँगे  कि यह तो सनम को याद करते ही सुर्ख हो जाते

है..यह नादाँ दिल धड़कने की भाषा क्या जाने कि इस की वापसी पास हमारे अब नामुमकिन है..सब को

कुछ करने की जरूरत ही नहीं कि सादगी हमारे लिए हमारी पूंजी है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...