कहीं दर्द उठा तो कहीं तन्हाई ..किसी ने याद किया हम को ख़्वाबों मे तो यह ज़िंदगी बेवजह मुस्कुरा
दी..तीर नैनो के चलाए भी नहीं और दिल के हज़ार टुकड़े क्यों हो गए..दूर से सिर्फ इशारा भर किया
और वो घायल क्यों हो गए..मुहब्बत का मतलब समझने चले थे हम से,और सिर्फ हमारे ही हो कर रह
गए..पाबंदियों का सिलसिला बेशक चले,चलता रहे..धागे मुहब्बत के कब टूटते है..पूछ दिल से अपने
भी,दिन-रात हम तुझे कितने याद आते है...
दी..तीर नैनो के चलाए भी नहीं और दिल के हज़ार टुकड़े क्यों हो गए..दूर से सिर्फ इशारा भर किया
और वो घायल क्यों हो गए..मुहब्बत का मतलब समझने चले थे हम से,और सिर्फ हमारे ही हो कर रह
गए..पाबंदियों का सिलसिला बेशक चले,चलता रहे..धागे मुहब्बत के कब टूटते है..पूछ दिल से अपने
भी,दिन-रात हम तुझे कितने याद आते है...