ना छेड़ तार मेरे दिल के कि मुहब्बत पे अभी पहरा है...रह खामोश अभी कि लबों को दूरी की अभी
बहुत जरुरत है...दूरियाँ रख ले अभी कि इन दूरियों से यह मुहब्बत बहुत दूर जाने को है...कदम से
कदम मिला कर चल साथ मेरे,दुनियाँ को कुछ अच्छा समझाने की बेहद जरुरत है...इम्तिहान तेरे-मेरे
प्यार का बहुत जरुरी है...हम परखे इक दूजे को..इस से पहले कुदरत खुद हम को,हमारे प्यार को परख
रही है ऐसे...क्या यह सिर्फ जिस्मानी है या क्या रूहों ने अभी इक दूजे को जाना है ?
बहुत जरुरत है...दूरियाँ रख ले अभी कि इन दूरियों से यह मुहब्बत बहुत दूर जाने को है...कदम से
कदम मिला कर चल साथ मेरे,दुनियाँ को कुछ अच्छा समझाने की बेहद जरुरत है...इम्तिहान तेरे-मेरे
प्यार का बहुत जरुरी है...हम परखे इक दूजे को..इस से पहले कुदरत खुद हम को,हमारे प्यार को परख
रही है ऐसे...क्या यह सिर्फ जिस्मानी है या क्या रूहों ने अभी इक दूजे को जाना है ?